Santulit aahar kya hai, Bananced Diet in Hindi, संतुलित आहार क्या है, संतुलित आहार के लाभ, संतुलित आहार का चित्र, संतुलित आहार का चार्ट.
संतुलित आहार क्या है
संतुलित आहार वह आहार है जिसमें मनुष्य की वृद्धि एवं विकास के लिए संपूर्ण पोषक तत्व उपलब्ध रहते हैं। मनुष्य के तीन मूलभूत आवश्यकताओं में से भोजन एक है परंतु अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन का पोस्टिक होना अति आवश्यक है।
पौष्टिक भोजन नहीं या संतुलित भोजन जिसमें सभी पोषक तत्व जैसे कि प्रोटीन, विटामिंस, बसा, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स, आदि उपस्थित होते हैं संतुलित आहार कहलाता है।
भोजन में किसी भी प्रकार के पोषक तत्व की कमी मनुष्य को रोगी तथा कमजोर बना सकती है और उसके शारीरिक तथा मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
मनुष्य के भोजन में किसी एक तत्व की अधिकता भी उसे असंतुलित बनाती है इससे भोजन अपाचे हो जाता है और विभिन्न रोग उत्पन्न करता है भोजन विशेषज्ञों ने अपनी खोजों से यह सिद्ध किया है कि प्रत्येक व्यक्ति को भोजन की आवश्यकता शारीरिक अवस्था, लिंग, जलवायु, परिस्थितियों आयु पर निर्भर करती है।
स्त्री पुरुष के भोजन में तथा दिनभर बैठकर पढ़ने लिखने अथवा दुकानदारी करने वाले और सड़क पर पत्थर तोड़ने आपका बजट होने वाले मजदूर के भोजन में बहुत बड़ा अंतर होता है।
आमतौर पर देखा गया है कि स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा कम भोजन की आवश्यकता होती है। केवल गर्भाशय और बालक को दूध पिलाने की अवस्था में अधिक भोजन की आवश्यकता होती है।
जलवायु के अनुसार ठंडे देश वालों को अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने वाला भोजन अधिक मात्रा में करना चाहिए तथा गर्म देश में अधिक वर्षा का भोजन हानिकारक रहता है।
शरीर की अवस्था के आधार पर संतुलित आहार
शरीर की विभिन्न अवस्थाओं में भोजन की आवश्यकता इस प्रकार होती है:
नवजात शिशु का संतुलित आहार
नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम हाल होता है क्योंकि दूध को एक संपूर्ण आहार माना गया है सभी पोषक तत्व इसमें पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित होते हैं जैसे कि प्रोटीन विटामिंस खनिज लवण कार्बोहाइड्रेट और वसा आदि।
किसी कारणवश यदि बच्चों को माता का दूध उपलब्ध ना हो सके जैसे कि मां के दूध कमाता हूं या माता बीमार हो ऐसी स्थिति में बच्चे को केवल गाय का दूध पतला करके देना चाहिए।
गाय तथा माता के दूध की तुलना
तत्वों की मात्रा | गाय का दूध | माता का दूध |
---|---|---|
प्रोटीन | 3.07% | 2.8% |
खनिज लवण | 0.7% | 0.3% |
वसा | 3.8% | 3.4% |
कार्बोहाइड्रेट | 4.5% | 6.5% |
जल | 88% | 87% |
जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तो उसे सूप जूस दलिया खिचड़ी अधिक देना चाहिए क्योंकि केवल दूध के द्वारा बढ़ते बच्चे की वृद्धि नहीं हो सकती है कुछ ठोस आहार भी देना चाहिए छोटे बच्चों को हर 2 घंटे के बाद दूध देना चाहिए.
और जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता जाए उसके दूध देने के समय में भी वृद्धि कर देनी चाहिए. 6 महीने के बच्चे को केला भी दे सकते हैं और उसके साथ-साथ सूजी की खीर साबूदाना डबल रोटी और आलू भी देना प्रारंभ कर देना चाहिए.
प्रारंभिक बाल्यावस्था के बच्चे का संतुलित आहार
यह अवस्था 1 साल से 3 साल तक मानी जाती है इस समय बच्चों की शारीरिक विकास की गति बहुत तेज होती है अतः बच्चों को कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन की अधिकता वाले भोजन तथा भोज्य पदार्थों का सेवन कराना चाहिए.
किस अवस्था में बच्चों को मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि बच्चों की पाचन तंत्र बहुत कमजोर होता है। बाल्यावस्था के दौरान बच्चों को आवश्यकतानुसार दाल, हरी सब्जी, फल, जूस, और दूध का सेवन कराना चाहिए।
प्रारंभिक बाल्यावस्था में संतुलित आहार तालिका(चार्ट)
भोज्य पदार्थ | 1-3 वर्ष (ग्राम में) शाकाहारी | 1-3 वर्ष (ग्राम में) मांसाहारी | 4-6 वर्ष (ग्राम में) शाकाहारी | 4-6 वर्ष (ग्राम में) मांसाहारी |
---|---|---|---|---|
दूध | 300 | 200 | 250 | 200 |
अनाज | 150 | 150 | 200 | 200 |
दाल | 50 | 40 | 60 | 50 |
सब्जी | 30 | 30 | 50 | 50 |
फल | 50 | 50 | 50 | 50 |
वसा | 20 | 20 | 25 | 25 |
चीनी | 30 | 30 | 40 | 40 |
हरी पत्तेदार सब्जी | 50 | 50 | 75 | 75 |
विद्यार्थी बच्चों का संतुलित आहार
बच्चों के शरीर में लगातार वृद्धि होती रहती है साथ ही खेलकूद में वे अपनी काफी शक्ति को नष्ट कर देते हैं. ऐसी स्थिति में बच्चों को प्रतिदिन अधिक पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है उनके भोजन में प्रोटीन की मात्रा अधिक होनी चाहिए इसीलिए बच्चों के भोजन में दूर पर्याप्त मात्रा में शामिल करना चाहिए
ऊर्जा की आवश्यकता उनकी क्रियाशीलता पर भी निर्भर होती है अक्सर देखा गया है कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
आयु के आधार पर ऊर्जा की आवश्यकता तालिका
आयु | ऊर्जा (लड़कों के लिए) | ऊर्जा (लड़कियों के लिए) |
---|---|---|
9-12 | 2200 कैलोरी | 2000 कैलोरी |
13-15 | 2450 कैलोरी | 2060 कैलोरी |
16-18 | 2650 कैलोरी | 2670 कैलोरी |
भाइयों बढ़ने के साथ-साथ ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ती जाती है और युवावस्था में सीमित हो जाती है. इस अवस्था में ऊर्जा की आवश्यकता है युवा बच्चे की क्रियाशीलता पर भी निर्भर करती है। कार्य अनुसार उसे कम या अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
एक विद्यार्थी बच्चों को कौन सा और कितना आर दिया जाना चाहिए यह निम्न तालिका द्वारा दर्शाया गया है-
विभिन्न विद्यार्थी वर्ग के लिए आहार तालिका
भोज्य पदार्थ | आयु 9 से 12 वर्ष | आयु 16 से 19 वर्ष |
---|---|---|
दूध | 550 ग्राम | 550 ग्राम |
अनाज | 250 ग्राम | 500 ग्राम |
फल | 200 ग्राम | 100 ग्राम |
हरी सब्जियों | 100 ग्राम | 100 ग्राम |
सूखे मेवे | 25 ग्राम | 30 ग्राम |
वसा | 40 ग्राम | 50 ग्राम |
उपर्युक्त तालिका में यह दर्शाया गया है कि एक बच्चे को कितना भोजन करना चाहिए जिससे कि उन्हें अपने खेल कूद और पढ़ाई के लिए पर्याप्त मात्रा में कैलोरी प्राप्त हो सके।
इसके साथ साथ यह भी आवश्यक है कि बच्चे को कौन सा भोजन किस समय पर दिया जाए जिससे उन्हें ऊर्जा प्राप्ति के साथ-साथ उनके शारीरिक और मानसिक विकास में भी सहायक हो।
एक विद्यार्थी की दैनिक आहार तालिका का वर्णन नीचे किया जा रहा है जिसमें दर्शाया गया है कि बच्चों को कौन सा भोजन कितनी मात्रा में तथा किस समय दिया जाना चाहिए:
समय | खाद्य पदार्थ |
---|---|
सुबह 6:30 बजे नाश्ता | दलिया या फ़ैरेक्स के साथ दूध, दूध तथा मौसमी फल |
पूर्वांह 9:30 बजे | दूध, बिस्किट, मक्खन, डबल रोटी |
दोपहर 12:30 भोजन | दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद |
अपरान्ह 4:30 बजे नाश्ता | दूध, फल |
रात्रि 7:30 बजे भजन | गेहूं की रोटी, रसेदार सब्जी, सलाद, मिठाई |
वयस्क पुरुष का संतुलित आहार
वयस्क अवस्था में व्यक्ति को भोजन संबंधी आवश्यकता निर्भर करती हैं व्यक्ति की कार्यप्रणाली, लिंग, जलवायु, और उसकी जीवन शैली पर. पुरुषों को शारीरिक तथा मानसिक कार्य अधिकारी होता है इसलिए उन्हें अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है।
मानसिक कार्य करने वालों को शारीरिक परिश्रम कम करना पड़ता है ऐसे लोगों को अधिक पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है जिससे उनके मस्तिष्क के क्षय हुए उसको की क्षतिपूर्ति बराबर होती है इन लोगों के भोजन में दूध सूखे मेवे इत्यादि प्रोटीन युक्त पदार्थों तथा फलों की मात्रा अधिक होनी चाहिए।
अधिक परिश्रम करने वालों को अधिक शक्ति उत्पन्न करने वाली चीजें जैसे कार्बोहाइड्रेट तथा वसायुक्त पदार्थ आदि खाने चाहिए।
जितनी भी खाद्य सामग्रियां हैं उनमें से कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है जिनमें भोजन के सभी तत्व एक साथ उचित मात्रा में सम्मिलित हो रहे एक भी चीज को भरपेट खा लेना भी ठीक नहीं होता।
एक व्यक्ति को प्रतिदिन कितनी कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है यह उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य पर निर्भर करता है।
प्रति व्यक्ति | कैलोरी की आवश्यकता |
---|---|
हल्का कार्य करने वाले व्यक्ति | 2425 कैलोरी |
साधारण कार्य करने वाले व्यक्ति | 2875 गैलरी |
कठिन कार्य करने वाले व्यक्ति | 3800 कैलोरी |
वयस्क पुरुष की आहार तालिका (चार्ट)
भोज्य पदार्थ | मात्रा |
---|---|
अनाज | 500 ग्राम |
दाल | 75 ग्राम |
दूध | 200 ग्राम |
फल/जूस | 150 ग्राम |
हरी सब्जी | 150 ग्राम |
सब्जी | 125 ग्राम |
गुड/शक्कर | 50 ग्राम |
वसा/तेल | 50 ग्राम |
अन्य | 100 ग्राम |
वयस्क स्त्री का संतुलित आहार
जैसा कि हमने पहले ही बताया स्त्रियों को कम कैलोरी वाले भोजन की आवश्यकता होती है साथ ही यह आवश्यकता उनकी कार्यशैली क्षमता के जलवायु पर भी निर्भर करती है।
स्त्रियों को गर्भावस्था स्तनपान कराने की स्थिति में अधिक कैलोरी और ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसका वर्णन इस प्रकार है:
प्रति महिला | कैलोरी की आवश्यकता |
---|---|
हल्का कार्य करने वाली स्त्री | 1875 कैलोरी |
साधारण कार्य | 2225 कैलोरी |
भारी कार्य | 2925 कैलोरी |
गर्भावस्था | + 300 कैलोरी |
स्तनपान 0 से 6 माह तक | + 500 कैलोरी |
स्तनपान 6 से 12 माह तक | + 400 कैलोरी |
सामान्य स्त्री की आहार तालिका (चार्ट)
भोज्य पदार्थ | मात्रा |
---|---|
दूध | 150 ग्राम |
अनाज | 350 ग्राम |
दाल | 70 ग्राम |
हरी सब्जी | 125 राम |
सब्जी | 100 ग्राम |
फल/जूस | 100 ग्राम |
गुड/शक्कर | 40 ग्राम |
वसा/तेल | 40 ग्राम |
अन्य | 50 ग्राम |
गर्भवती स्त्री का संतुलित आहार
गर्भवती स्त्री को अधिक कैलोरी युक्त भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि गर्भस्थ शिशु उड़ते हैं अपनी माता पर आश्रित होता है। यदि इस अवस्था में स्त्री को पर्याप्त भोजन की मात्रा प्राप्त ना हो तो प्राय उनका बच्चा कमजोर, कम वजन और अस्वस्थ पैदा होता है।
कई बार बच्चा जन्मजात रोगी भी हो सकता है जैसे अंधापन, विकलांग, एनीमिया, या किसी अन्य संक्रामक रोग से पीड़ित।
भारत जैसे गरीब गर्म जलवायु वाले देश में बाल मृत्यु दर तथा मातृ मृत्यु दर की अधिक मात्रा है अर्थात एक गर्भवती स्त्री को दैनिक आहार तालिका निम्न प्रकार की होनी चाहिए:
गर्भवती महिला की दैनिक आहार तालिका (चार्ट)
भोज्य पदार्थ | प्रस्तावित मात्रा |
---|---|
दूध | 500 ग्राम |
अनाज | 450 ग्राम |
दाल | 100 ग्राम |
फल | 100 ग्राम |
सब्जियां | 175 ग्राम |
शक्कर | 100 ग्राम |
घी तेल | 60 ग्राम |
स्तनपान कराने वाली महिला का आहार
गर्भावस्था के समान स्थान प्रदान कराने वाली स्त्री को भी अधिक कैलोरी तथा खनिज लवण और विटामिन युक्त भोजन की आवश्यकता होती है। सामान्यत है इस अवस्था में कैल्शियम व्हे प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थों की मात्रा बढ़ा देने से एक स्तनपान कराने वाली महिला को प्रतिदिन 3100 कैलोरी की आवश्यकता होती है जिससे उसका वह बच्चे दोनों का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
प्रौढ़ावस्था में संतुलित आहार
किस अवस्था तक प्राय व्यक्ति की पाचन क्रिया सील हो जाती है उपापचय एक किराए बंद हो जाती हैं। पचे हुए भोजन का अवशोषण हाथों द्वारा कम हो जाता है अर्थात वृद्धावस्था में बाहर ऐसा होना चाहिए जो शीघ्र पच जाए।
अधिक गरिष्ठ तथा विटामिन युक्त भोजन भी हानिकारक हो सकता है अधिक वसायुक्त भोजन कदापि नहीं करना चाहिए। इस अवस्था के व्यक्ति को भोजन में विटामिन बी कॉन्प्लेक्स सीडी की अधिक मात्रा रखनी चाहिए। तथा कैल्शियम की मात्रा भी पर्याप्त रखनी चाहिए।
गूदे दारफल, जड़ वाली सब्जियां, दलिया, भूसी सहित आटे की रोटियां, सूजी आदि पर्याप्त मात्रा में ग्रहण करें जिससे कम भोजन में अधिक ऊर्जा की मात्रा ग्रहण हो सके।
मोटे व्यक्ति का संतुलित आहार
अगर देखा जाए तो मोटापा अपने आप में एक बीमारी होता है इसमें शरीर में वसा की मात्रा बढ़ने से मोटापा बढ़ जाता है। अधिक मोटापे की स्थिति को ओबेसिटी का रोग कहते हैं यह पोषण संबंधी विकार है जो धनी वर्ग के लोगों या एक ही स्थान पर बैठे बैठे काम करने वाले व्यक्तियों को हो जाता है।
इस रोग के होने के कई कारण होते हैं जैसे कि कम परिश्रम करना, अधिक वसा,युक्त भोजन करना, वंशानुगत इत्यादि। साधारण तौर पर देखा गया है कि महिलाओं में मां बनने के बाद उनका शरीर भारी हो जाता है।
इसका मुख्य कारण जलवायु में महिलाओं को विशेष शारीरिक संरचना होती है वैसे मोटापा किसी भी आयु में हो सकता है।
मोटे व्यक्ति को अपने भोजन में निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
- मोटे व्यक्ति को जल का प्रयोग अधिक करना चाहिए तथा नमक का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए।
- व्यक्तियों को भोजन नहीं करना चाहिए।
- भोजन में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन ग्रहण करें जिससे अधिक प्राप्त हो।
- कैल्शियम युक्त भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- पर्याप्त मात्रा में मौसमी फल तथा सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए।
- हरी सब्जी, रसेदार सब्जी तथा फलों का प्रयोग करना चाहिए।
FAQs
संतुलित आहार क्यों आवश्यक है?
शरीर के शारीरिक तथा मानसिक विकास के लिए भोजन में पोषक तत्वों की सूची मात्रा का होना आवश्यक है यदि भोजन में पोषक तत्वों की कमी अधिकता पाई जाएगी तो उसका शरीर के अंगों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और मनुष्य बीमार हो जाता है. शरीर को बीमारी से बचाने के लिए हरकत संतुलित होना जरूरी है.
संतुलित आहार की कमी से होने वाले रोग कौन-कौन से हैं?
आलस्य, मोटापा, कब्ज, गैस, अपच, खट्टी डकार आना, शरीर का मानसिक विकास ना होना.
आहार क्या है?
मनुष्य की शारीरिक तथा मानसिक विकास के लिए पोषक तत्व की आवश्यकता होती है और यह पोषक तत्व हमें भोजन से प्राप्त होते हैं। वह भोजन जो मनुष्य को या वह खाद्य पदार्थ जो मनुष्य को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है आहार कहलाता है या भोजन कहलाता है।
भोजन के पोषक तत्व कौन कौन से हैं?
भोजन के पोषक तत्व कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, बसा, खनिज लवण, और विटामिंस होते हैं।
संतुलित आहार एवं पोषक तत्व की कमी से होने वाले रोग कौन-कौन से हैं?
मोटापा, कमजोरी, तनाव, थकान, सुस्ती, आलस्य