क्या भूतों से बात कर सकते हैं? [ Bhoot Se Baat ]

क्या भूतों से बात कर सकते हैं? [ Bhoot Se Baat ]

दोस्तों आपने भूतों से बात [ bhoot se baat ] करने के क़िस्से या कहानियाँ तो ज़रूर सुनी होंगी। लेकिन वास्तविकता में भूत होते हैं इसके बारे में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय होती हैं।

यदि हम विज्ञान के नजरिए से देखें तो भूतों से बात [ bhoot se baat ] करने की बात को भी नकार देते हैं क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि भूत होते ही नहीं है।

लेकिन यदि हम आध्यात्मिक लेवल पर जाकर और लोगों के पर्सनल अनुभव की बात करें तो भी भूतों को भी मानते हैं और भूतों से बात करने की घटनाएं भी सच्ची होती है।


 

आज मैं आपको भूतों से बात करने [ bhoot se baat ] की एक सच्ची घटना सुना रहा हूं। यदि आप ध्यान से चीजों को समझेंगे वह सुनेंगे तो आप भी इस बात को मानने पर मजबूर हो जाएंगे कि वास्तव में भूत होते हैं और उनसे बातें भी की जा सकती है।

लेकिन फिर भी मैं यह निर्णय आपके ऊपर छोड़ता हूं आप पूरा आर्टिकल पढ़ने के बाद खुद इस बात को सुनिश्चित करें कि क्या वास्तव में यह सच्चाई है और भूतों से बात कर सकते हैं?

भूतों से बात [ Bhoot Se Baat ] करने की सच्ची घटना

मेरा नाम महेश है और मैं जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश के किशनपुर गांव में रहता हूं। मैंने बीटेक किया हुआ है और वर्तमान में पुणे की एक प्राइवेट कंपनी में डिजाइन इंजीनियर की नौकरी करता हूं।

जब मेरी नौकरी लगी थी तो मुझे शुरू में 1 साल तक घर जाने का अवसर नहीं मिला था इसीलिए मैं एक बार 1 साल के बाद 5 दिन की छुट्टी लेकर घर जा रहा था।

दुरंतो एक्सप्रेस में मुझे शाम के 8:00 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतार दिया था। इसके बाद मैंने दिल्ली से कोटद्वार की बस पकड़ी और मैं बिजनौर लगभग 10 या 10:30 बजे के आसपास पहुंच गया था।

बिजनौर से हमारे गांव की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है। क्योंकि रात के 10:30 बज चुके थे और उस समय पर सभी प्राइवेट वाहन बंद हो गए थे। ऐसे में मैंने सोचा कि क्यों ने रोडवेज स्टैंड पर बैठकर ही रात गुजारी जाए।

लेकिन तभी मुझे एक बाइक सवार मिला जो कि हमारे गांव की तरफ ही जा रहा था लेकिन उसका गांव हमारे गांव से 2 किलोमीटर पहले था।

मैं उसकी बाइक पर बैठ गया और अपने घर की तरफ चल दिया अभी कहां पहुंचा तो मुझे भी उसने अपने साथ ही रुकने का सुझाव दिया। मैंने सोचा कि लगभग आधी रात हो गई है और मुझे इसके साथ ही रुक जाना चाहिए।

लेकिन तभी मैंने देखा कि हमारे गांव की एक चाचा जी जिनका नाम कल्याण सिंह है वह पीछे से हाथ में एक थैला लिए हुए आ रहे हैं मैंने उन्हें देखा तो सोचा कि क्यों ना मैं चाचा जी के साथ अपने गांव चले।

वैसे भी एक से भले दो होते हैं और हम बात करते करते आधे से 1 घंटे में अपने गांव में पहुंच जाएंगे। इसलिए मैं चाचा जी के साथ अपने गांव को चल दिया।

हमने रास्ते में बहुत सारी बातें की! चाचा जी ने मुझसे मेरे काम के बारे में पूछा और उनका एक लड़का है उसकी नौकरी के लिए भी मुझसे बात की।

हम दोनों लोग पूरे रास्ते बातें करते हुए ही आ रहे हैं थे मैंने भी उनसे गांव के बारे में काफी बातें पूछी कि गांव में सब कैसे हैं क्या चल रहा है इस टाइप की बातें।

गांव में पहुंचने पर वह अपने मोहल्ले की तरफ मुड़ गए और मैं अपने घर की तरफ चला गया। मैंने जाकर अपना दरवाजा खटखटाया।

अंदर से माताजी ने दरवाजा खोला और मैं घर के अंदर गया जब मैं खाना खा रहा था तो माँ ने पूछा कि तुम इतनी रात में कैसे आए हो। तुम्हें कहीं शहर में रुक जाना चाहिए था और सुबह दिन निकलने पर ही आना चाहिए था।

मैंने कहा कि अरे डरने की कोई बात नहीं है मैं चाचा जी के साथ आया हूं। मां ने उत्सुकता से पूछा कौन से चाचा जी के साथ आए हो?

मैंने उत्तर दिया कि जो कल्याण सिंह चाचा जी हैं मैं उनके साथ आया हूं!

मेरी बातें सुनकर घर के सभी सदस्य एकदम सदमे में आ गए। मैंने उनकी और उत्सुकता से देखकर पूछा कि आप सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं?

तब मां ने उत्तर दिया कि कल्याण सिंह को मरे हुए आज पूरे 3 महीने हो गए हैं। मां की यह बात सुनकर मैं भी सहम गया।

मेरी बात पर किसी ने भी यकीन नहीं किया और मैं खुद ही यह बात मानने को तैयार नहीं था कि मैं एक भूत के साथ बात करता हुआ आया हूं।

खैर मैं खाना खाकर सो गया लेकिन मुझे पूरी रात नींद नहीं आई और मैं कल्याण सिंह चाचा जी के बारे में ही पूरी रात सोचता रहा।

निष्कर्ष

इस सच्ची घटना से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जिस व्यक्ति ने खुद यह अनुभव किया है वह इस बात को किसी दूसरे के सामने साबित नहीं कर सकता क्योंकि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं रहता है।

वास्तव में भूत होते हैं और भूतों से बात की जा सकती है यह किसी व्यक्ति के अनुभव पर निर्भर करता है। जब तक किसी को वास्तविकता का अनुभव नहीं होता वह सब इन्हें कोरी कल्पना ही मानता रहता है।

लेकिन जब किसी व्यक्ति का भूत जैसी डरावनी चीजों से सामना हो जाता है तो वह सब कुछ मानने को तैयार हो जाता है।

यदि आपके साथ 20 प्रकार की कोई घटना हुई है या आपने कोई अनुभव किया है तो हमें कमेंट करके जरूर बताइए आप चाहे तो कांटेक्ट के पेज पर जाकर हमें अपनी कहानी भी भेज सकते हैं।

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