खनिज लवण [ Khanij Lavan ] किसे कहते है? | What Are Minerals In Hindi

खनिज लवण [ Khanij Lavan ] किसे कहते है? | What Are Minerals In Hindi

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हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की धातुओं के लवण पाए जाते हैं जैसे कि सोडियम, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, क्लोरीन, लोहा इत्यादि। इन सभी का प्रमुख कार्य शरीर के अंदर विभिन्न अंगों में नई कोशिकाओं का निर्माण करने तथा पुरानी कोशिकाओं की मरम्मत करना होता है।

मानव शरीर में सोडियम, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन इत्यादि के अतिरिक्त लगभग 25 तत्व पाए जाते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों की रोगों से रक्षा करने के लिए भी यही तत्व आगे आते हैं और शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

यह सभी तत्व शरीर के लिए एक प्रकार से सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं। इन सभी तत्वों को हमारा शरीर भोजन के माध्यम से ग्रहण करता है।

खनिज लवण [ Khanij Lavan ] किसे कहते हैं?

मानव शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न स्वास्थ्य वर्धक धातुओं के तत्व को खनिज लवण कहते हैं। खनिज लवण शरीर को एक विशेष प्रकार का रोग प्रतिरोधक क्षमता नामक सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।

खनिज लवण के उदाहरण

  • लोहा
  • तांबा
  • कैल्शियम
  • फास्फोरस
  • सोना
  • चांदी
  • इत्यादि।

खनिज लवण के प्रकार

खनिज के कुछ मुख्य लवणों की आवश्यकता हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होती है जो निम्न प्रकार है:

  1. कैल्शियम
  2. फास्फोरस
  3. लोहा
  4. पोटेशियम
  5. सोडियम
  6. क्लोरिन
  7. मैग्नीशियम
  8. ताम्बा
  9. आयोडीन
  10. गन्धक

1. कैल्शियम

शरीर में विद्यमान खनिज तत्वों में लगभग आधी मात्रा कैल्शियम की होती है| सामान्यता है इसकी लगभग 1400 ग्राम मात्रा सदैव हमारे शरीर में विद्यमान रहती है| यह दांतों, हड्डियों, रक्त तथा अन्य करण का सोने का बर्तन विद्यमान रहती है|

स्रोत

कैल्शियम की प्राप्ति सर्वाधिक दूध से होती है दूध में पाए जाने वाले कैंसर का शरीर में सरलता से पोषण हो जाता है यह अनाजों, दालों, गेहूं, चावल आदि में समुचित मात्रा में पाया जाता है साथी ताजे फलों, तीनों एवं वनस्पतिक तेलों में भी यह पाया जाता है|

कार्य एवं महत्व

  1. कैल्शियम मुख्हयत: दांतों व ड्डियों के निर्माण में सहायता करता है साथ ही दृढ़ता व स्थिरता प्रदान करता है|
  2. मांस पेशियों के फैलने बदलने में सहायक है|
  3. शारीरिक प्रक्रियो के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है|
  4. शरीर के घावों को शीघ्र भरने में मदद करता है| संपूर्ण शरीर के लिए अति आवश्यकहै|
  5. शरीर के स्नायु संस्थान को स्वस्थ रखने तथा अम्ल व क्षार के संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है|

कमी से हानियां

  1. इसकी कमी से बच्चों का शारीरिक विकास बाधित होता है|
  2. अवस्था में कैल्शियम की कमी से घुटनों में हाथ के जोड़ों में दर्द रहने लगता है|
  3. गर्भावस्था में कैल्शियम की कमी से होने वाला बच्चा अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए माता की श्रोणी गुहा की अस्थि से अधिक कैल्शियम लेने लगता है| जिससे श्रोणि गुहा धीरे-धीरे कमजोर लचीली ब संकीर्ण हो जाती है|
  4. स्तनपान कराने वाली महिलाओं के यदि भोजन में कैल्शियम की कमी रहती है तोअस्थिय लचीली व कमजोर हो जाती हैं|
  5. कैल्शियम की कमी से बच्चों में उगने वाले दांत काले व टेढ़ी-मेढ़ी होते हैं|
  6. इसकी कमी से चोट या घाव होने पर रक्त जमने में अधिक समय लगता है|

अधिकता से हानियां

शरीर में रक्त का मांस पेशियों में कैल्शियम की अधिकता से हाइपर्कैल्सीमिया नामक रोग हो जाता है इस कारण उल्टियां होने लगती हैं जी मिश्रा करें रक्तचाप बढ़ जाता है तथाआंतो व अमाशय से रक्त स्त्राव होने लगता है शरीर में कैल्शियम की कमी होने से गुर्दे में पथरी होने लगती है|

2. फास्फोरस

शरीर के लिए आवश्यक खनिजों में फास्फोरस का विशेष स्थान है यह दांतों का अस्थियों के निर्माण में भाग लेता है शरीर में विद्यमान सभी खनिजों में लगभग एक चौथाई भाग में फास्फोरस होता है यह समूचे शरीर विकास के लिए अति आवश्यक है|

स्रोत

यह वनस्पति जगत जैसे- हरी पत्तेदार सब्जियों, साबुत अनाज, फली, मेवों, चोकर, चना आदि में तथा जंतुओं से प्राप्त करने वाले पदार्थों में भी आ पाया जाता है पदार्थ इस प्रकार है जैसे- दूध, मक्खन, घी, झींगा मछली, मांस, तितर, अंडे की जर्दी आदि इन सभी पदार्थों में पाया जाता है|

कार्य व महत्त्व

  1. फास्फोरस कैल्शियम के साथ निर्माण कार्यो में सहायक की भूमिका निभाता है|
  2. यह अस्थियो व दांतों निर्माण में सहयोगी है तथा टूटी फूटी हस्तियों को दोबारा जोड़ने में भी सहायक है|
  3. विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए प्रेरक स्रोत का कार्य करता है|
  4. रक्त की क्षारीयता को संतुलित बनाए रखता है|
  5. पोषक तत्वों के अवशोषण का परिवहन को सरल बना कर शरीर में ऊर्जा के परिवर्तन में विशेष योगदान करता है|
  6. शरीर के विभिन्न रसों को तरल बनाए रखने में सहायता करता है|

कमी से हानियां

  • इसकी कमी से शारीरिक विकास प्रभावित होता है
  • तलाक निकलने में कठिनाइयां में देरी होती है
  • भूख कम लगना थकान आदि की समस्या रहती है|

3. लोहा

आवश्यक खनिज कपड़ों में से इसकी आधी मात्रा ही हमारे शरीर के लिए प्राप्त होती है सामान्यतः हमारे शरीर में केवल 2 से 5 ग्राम तक लोहा विद्यमान रहता है अर्थात हमारे शरीर के कोई वजन को केवल 1/25000 भाग ही लोहा होता है| रक्त में हीमोग्लोबिन के रूप में होता है इसकी शेषमा मात्रा मांस पेशियों, जिगर, प्लीहा तथा अस्थि मज्जा में पाई जाती है|

स्रोत

लोहे की प्राप्ति यकृत, अंडा, मेवे,मांस, हरी पत्तेदार सब्जियां, फलो, गन्ने के रस तथा सेब में सर्वाधिक मात्रा लोहा तत्व की पाई जाती है साथ ही गुड, खजूर, अनाजों, दालो मे कुछ मात्रा में होती है|

कार्य व महत्व

  1. लोहे का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य हीमोग्लोबिन का निर्माण करना है|
  2. शरीर के कुछ एंजाइमों के निर्माण तथा भोजन के आवश्यक तत्व जैसे- प्रोटीन,कार्बोज के उपापचय में भी सहायक होता है|
  3. यह शरीर की मांसपेशियों की कोशिकाओं में मायोग्लोबिन के रूप में ऑक्सीजन को संग्रहित करता है जिसे मांसपेशियां सुचारू रूप से कार्य करती रहती हैं
  4. गर्भवती स्त्रियां तथा बाल्यावस्था में सारे प्रति के लिए अति आवश्यक है|

कमी से हानियां

बाल्यावस्था में इसकी कमी से शारीरिक विकास अवरुद्ध होता है पाचन क्रिया प्रभावित होती है लोहे की कमी से हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं हो पाता जिससे रक्त निर्माण में कमी से शरीर पीला सा दिखने लगता है| कभी-कभी एनीमिया रोग भी हो जाता है शारीरिक कमजोरी महसूस होती है मांस पेशियों में शिथिलता थकान का अनुभव होता है|

4. पोटेशियम

यह आवश्यक तत्व है जो लगभग 210 ग्राम सामान्य व्यक्ति के शरीर में होता है| यह तंत्रिका सूत्रों द्वारा सूचना को लाने ले जाने का कार्य करता है मुख्य रूप से अंत: कौशिक का रस में ही पाया जाता है और साथ ही लाल कणों में| यह हृदय स्पंदन की गति को नियंत्रित रखता है|

स्रोत

सभी भोज्य पदार्थों में इसका कुछ अंश पाया जाता है| यह मांस, अंडा, विभिन्न वनस्पतियों के सारथी कुछ मात्रा चाय, कॉफी, को को तथा मसालों में भी पाई जाती है|

कार्य एवं महत्व

  1. यह शरीर में अम्ल व् क्षार को संतुलित बनाए रखता है|
  2. मांसपेशियों के संकुचन में सहायक है|
  3. शरीर में कोशिकाओं दिन चल तथा अन्य खनिजों के आवागमन को नियंत्रित करता है|
  4. तंत्रिका तंत्र से विद्युत संवेदना को लेजाने में सहयोगी है|
  5. अस्थियों के उत्तम क्लासिफिकेशन में सहायक है|
  6. हृदय की गति को नियमित बनाए रखता है|

कमी से हानियां

सामान्य शरीर में पोटेशियम की कमी नहीं होती किंतु यदि किसी कारण ऐसी स्थिति हो जाए तो हमारे मांसपेशियां कमजोर हो जाती है शरीर थका थका महसूस होता है| हृदय की गति प्रभावित होती है पाचन क्रिया प्रभावित होने से पेट फूल जाता है शरीर में जल की मात्रा तथा अम्ल व क्षार का संतुलन प्रभावित हो जाता है|

(5) सोडियम

यह हमारे शरीर में अधिकांशतः रक्त के प्लाज्मा तथा तरल पदार्थ की बाह्य कोशिका रस में रहता है, कोशिकाओं को गिला रखता है| कुछ मात्रा इसकी अतिथियों में होती है| मोटे व्यक्तियों में सोडियम की मात्रा सामान्य से अधिक होती है स्वस्थ व्यक्ति में इसकी मात्र 120 ग्राम तक होती है|

स्रोत

सोडियम की दैनिक आवश्यकता की पूर्ति साधारण नमक से ही हो जाती है| प्राय: वनस्पति पदार्थ जैसे दूध, अंडा आदि में इसकी बहुत कम मात्रा पाई जाती है|

कार्य

यह शरीर के विभिन्न रासायनिकक्रियाओ को सुचारू बनाए रखता है यह अम्ल व क्षार में संतुलन बनाए रखता है| पानी की मात्रा को संतुलित बनाए रखता है जिससे शरीर में पानी की छति नहीं होती मैं अतिरिक्त जल को मूत्र व् पसीने के रूप में बाहर निकालने में सहायक होता है मांस पेशी संकुचन में सहायक तथा हृदय की धड़कन को नियमित बनाए रखता है|

कमी से हानियां

सोडियम की कमी से मांसपेशियों में शिथिलता, अम्ल व क्षार असंतुलन तंत्रिका सूत्रों की कार्यप्रणाली वाधित होने लगती है और प्यास अधिक लगती है| व्यक्ति का स्वभाव उग्र हो जाता है|

(6) क्लोरीन

यह हमारे शरीर में रक्त के प्लाज्मा तथा बाह्य कोशिक रस में सोडियम क्लोराइड तथा पोटेशियम क्लोराइड के रूप में पाया जाता है|

स्रोत

यह सभी भोज्य पदार्थों में पाया जाता है परंतु भोज्य पदार्थों में इसकी मात्रा बहुत कम होती है सर्वाधिक इसकी मात्रा नमक में होती है तथा यह कुछ सब्जियों व फलों में भी पायाता है|

कार्य

इसका मुख्य कारण है शरीर में अम्ल व क्षार का संतुलन बनाए रखना है|यह रसाकर्षण केर कब आपको उचित बनाए रखने मैं सहायक होता है आमाशय में पाई जाने वाली उपयोगी हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के निर्माण में भी इसका योगदान रहता है|

(7) मैग्नीशियम

यह हमारे शरीर में ऊतकों कोशिकाओं में विद्वान रहता है इसका कुछ भाग प्रोटीन के साथ मिलकर कोमल ऊतको में विद्यमान रहता है| सामान्यतः एक व्यक्ति के शरीर में इसकी 20 से 28 ग्राम मात्रा रहती है|

स्रोत

यह सामान्य रूप से सभी अनाजों.. सब्जियों फलों; जैसे सेब, केला, अंजीर, खजूर आदि उपलब्ध रहता है|

कार्य

यह अस्थियों तथा दांतों के निर्माण में सहायक है मुख्य कार्य शरीर में विद्यमान एंजाइम को सक्रिय बनाकर कार्बोहाइड्रेट के उपापचय में सहायक है| तंत्रिका तंत्र को भी क्रियाशील बनाए रखने के लिए आवश्यक है|

कमी से हानियां

इनकी कमी से मांसपेशियां कांपने लगती है तथा पाव में ऐठन रहने लगती है| उनमें आप एक शादी हो जाती है तथा शरीर गंभीर स्थिति में डेलीरियम के लक्षण दिखाई देते हैं|

(8) तांबा

अन्य तत्वों की भांति तांबा भी आवश्यक होता है शरीर में उपस्थित विभिन्न अंगों में आवश्यक तत्व रूप के विद्यमान होता है एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में लगभग 100 से 1500 मिलीग्राम का पाया जाता है|

स्रोत

दूध तथा अनाजों में इसकी अल्प मात्रा होती है| प्राय: मांस,, यकृत,, चाय, कॉफी, सेव, पालक सेम इत्यादि में अधिक मात्रा में पाया जाता है|

कार्य

लौह तत्व , वसा व विटामिन सी के अवशेषन में आवश्यक है हिमोग्लोबिन अस्थि निर्माण में सहायक होता है|

हानियाँ

इसकी कमी से व्यक्ति रक्त – अल्पता का शिकार हो जाता है|प्रतिदिन इसकी 2 -4 मिलीग्राम मात्रा की आवश्यकता होती है|

(9) आयोडीन

अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हुए भी आयोडीन की अल्प मात्रा शरीर के लिए आवश्यक होती है| शरीर की एक मुख्य ग्रंथि चुल्लिका ग्रंथि की सुचारू क्रियाशीलता के लिए अति आवश्यक है| इससे निकलने वाला रस थायरोक्सिन शरीर की विभिन्न क्रियाओ का क्रियान्वयन करता है| किसकी कमी से घोंगा रोग हो जाता है|

स्रोत

समुद्र के जल, वनस्पति कथा समुद्री मछलियों में आयोडीन पाई जाती है समुद्री तट पर पाई जाने वाली गाय के दूध में भी कुछ मात्रा में पाई जाती है कुछ सब्जियों जैसे; – शलजम, लहसुन आदि में आयोडीन कुछ मात्रा पाई जाती है|

कार्य

थायराइड ग्रंथि की सुचारू क्रियाशीलता के लिए आयोडीन अनिवार्य है क्योंकि शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक होता है| सारथी शरीर के कोषों में होने वाली ऑक्सीकरण की क्रिया को भी प्रभावित करती है|

कमी से हानियां

  1. किसकी कमी से थायराइड ग्रंथि से रस स्त्राव जी माता का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाता है|
  2. शरीर में होने वाली उपापचय क्रिया अनियमित हो जाती है|
  3. बच्चों में सी कमी क्रेटिन नामक रोग हो जाता है|
  4. किसकी कमी से चेहरे पर सूजन, त्वचा मोटी, खुदरी एवं झुर्रीदर हो जाती है और जीभ बढ़ जाती है|
  5. इसका प्रभाव से प्रजनन क्षमता पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है|
  6. इसकी कमी से व्यक्ति के के बाल या तो उगते ही नही या हो उनकी या तो उनकी वृध्दि रुक जाती है|
  7. मुख्य: इसकी कमी से घोंगा नामक रोग हो जाता है |
  8. आयोडीन कमी से होने वाले रोग पूर्वी व उत्तरी राज्यों में भी होते हैं समुद्री तट क्षेत्रों में यारों बहुत कम होता है अधिक मात्रा होने पर उनके साथ बाहर निकल जाती है|

(10) गंधक

अल्प मात्रा में खनिजों में कंधक भी मुख्य है| प्रोटीन के एक आवश्यक काव्य के रूप में हमारे शरीर में पहुंचता रहता है| कुछ विशेष कोटि में लगभग 2% तक गंधक पाया जाता है|

स्रोत

प्रोटीन के अतिरिक्त मांस, मछली, अंडे दूध से भी गंधक की प्राप्ति होती है| अनाज, मुली,पालक,अंकुरित, आदि में इसकी मात्रा बहुत कम पाई जाती है|

कार्य व महत्व

यह प्रोटीन के पाचन वह निर्माण में सहायक होता है बालों के नाखुनों की उचित वृध्दि में सहायक है| मांसपेशियों के समुचित विकास दर शरीर में होने वाली ऑक्सीकरण की प्रक्रिया में भी इसका का योगदान होता है |

कमी का प्रभाव

किसी कारण बस शरीर में गंधक की कमी हो जाए तो इसका प्रतिकूल प्रभाव बालों एवं नाखूनों के अतिरिक्त प्रोटीन के अवशोषण पर भी पड़ता है इसकी प्रतिदिन 10 से 20 ग्राम तक एक व्यक्ति को आवश्यकता होती है|

खनिज लवण के कार्य

खनिज तत्व हमारे लिए विशेष आवश्यक हैं इनके कार्य के आधार पर ही ने तो कर्मों में बांटा गया है|

(A) शरीर निर्माण संबंधित कार्य

  1. यह दांतों व अस्थियों के निर्माण में सहायक है| कैल्शियम फास्फोरस है दोनों बातों पर अस्थियों को दृढ़ता व शक्ति प्रदान करते हैं|
  2. यह रक्त के सबसे महत्वपूर्ण घटक हीमोग्लोबिन का निर्माण करते हैं| लोह लवण यह कार्य करता है| रक्त शिराओं मेंरक्त सीरम में कैल्शियम तथा लाल कणों के निर्माण में तांबे का योगदान होता है|
  3. कोमल तंतु का निर्माण जैसे पेड़ से तंत्रिका कोशिकाओं के निर्माण में फास्फोरस का विशेष योगदान होता है पेंट शेयर बेड तंत्रिका ऊतक ओं के निर्माण में सल्फर सहयोगी होता है|
  4. शरीर के विभिन्न रसों के निर्माण जैसे थायराइड ग्रंथि की सुचारू क्रियाशीलता तथा इससे संबंधित रसों के निर्माण में आयोडीन सहयोगी होता है|
  5. मैग्नीशियम प्रोटीन के निर्माण में सहयोगी होता है|

(B) शारीरिक क्रियाओं के लिए नियामक कार्य

  1. शरीर के विभिन्न अंगों की किला शीलता का संचालन में सहायक होता है|
  2. इनके प्रभाव से शरीर में उपस्थिति में पदार्थ घुलनशील बनते हैं तथा उन्हें शरीर के विभिन्न अंगों तक जाने में सरलता होती है|
  3. पाचन किधर को व्यवस्थित रखते हैं यह पाचक रसों के उत्प्रेरक होते हैं|
  4. यह शरीर में अम्ल व क्षार का उचित संतुलन बनाए रखते हैं जिससे संतुलित पाचन संस्थान के पाचन में भरपूर योगदान करते हैं|

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